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शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

राष्ट्रीय गणित वर्ष



वर्ष २०१२ को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित किया गया है , इसका क्या उद्देश्य है ?

मानव – इतिहास में गणित का विकास बहुत पहले ही संभवतः एक स्वतंत्र विषय के रूप में हुआ | गणित के विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और शताब्दियों तक शीर्ष स्थान पर रहा है | पाँचवी शताब्दी में आर्यभट और उसके बाद ब्रह्मगुप्त भारत के महान गणितज्ञों में गिने जाते हैं | भारतीय गणित के इतिहास में शून्य और दशमलव पद्धति का अविष्कार पूरे मानव – इतिहास और गणित के विश्व – इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है और संभवतः कोई अन्य आविष्कार भविष्य में इसका स्थान नहीं ले सकेगा |
                                                                                                                 
आर्यभट के बाद लगभग हजार वर्षों तक भारतीय गणित विश्व में प्रथम स्थान पर रहा | इस काल में भारत के महान गणितज्ञों में केरल के माधव अंतिम गणितज्ञ थे | गणितज्ञ माधव ने न्यूटन और लेबनीज से लगभग दो शताब्दी पूर्व कलन शास्त्र यानि कैलकुलस के मूलभूत सिद्धांतों की खोज की थी | उनका यह शोध उनके द्वारा स्थापित केरल के एक विद्यालय की चहारदीवारी में ही सिमटकर रह गया और शेष दुनिया इससे अनभिज्ञ रहा | दुर्भाग्यवश सोलहवीं शताब्दी के मध्य के बाद इस विद्यालय का अस्तित्व नहीं रहा | इसके बाद उन्नीसवीं शताब्दी तक भारत में गणित का विकास अवरूद्ध रहा , जब तक कि इस शताब्दी के अंत में महानतम भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का अवतरण नहीं हुआ | परंतु रामानुजन के बाद कुछ गिने – चुने गणितज्ञ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए |
                  
हमारा देश जितना विशाल है , इसकी तुलना में यहाँ विश्वस्तरीय गणितज्ञों की काफी कमी है | हमारे देश में छात्र उच्चस्तरीय गणित के अध्ययन में बहुत कम ही रूचि दिखाते हैं , फलस्वरूप यहाँ गणित का गुणवत्तापूर्ण और समुचित विकास नहीं हो पा रहा है | यहाँ छात्रों की गलत आम धारणा है कि गणित के क्षेत्र में रोजगार की कोई सम्भावना नहीं है | यह धारणा कुछ वर्षों पहले तक सही थी , परंतु आज गणित में शोध और शिक्षण के क्षेत्र में अपार संभावनायें व्याप्त हैं |

भारत में गणित के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु यह आवश्यक है कि गणितज्ञ – समुदाय इसके लिए उपायों और साधनों कि खोज करें जिससे कि  गणित में उच्च कोटि के शोध और इनके अनुप्रयोग को प्रोत्साहन मिल सके | इसी उद्देश्य हेतु केंद्र सरकार ने वैज्ञानिक गतिविविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु एक नीति बनायी है | इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने २६ दिसंबर २०११ को रामानुजन जयंती के अवसर पर  वर्ष २०१२ को “राष्ट्रीय गणित वर्ष” घोषित किया | इसका उद्देश्य गणित के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु हर संभव प्रयास करना है , विश्वविद्यालयों में मूल्यांकन पद्धति में सुधार लाना हैं , प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहित करना है ताकि उन्हें रामानुजन कि तरह कठिनाइयों का सामना न करना पड़े और वे शोध में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके |