वर्ष २०१२ को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित किया गया है , इसका क्या उद्देश्य है
?
मानव
– इतिहास में गणित का विकास बहुत पहले ही संभवतः एक स्वतंत्र विषय के रूप में हुआ
| गणित के विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और शताब्दियों तक शीर्ष
स्थान पर रहा है | पाँचवी शताब्दी में आर्यभट और उसके बाद ब्रह्मगुप्त भारत के
महान गणितज्ञों में गिने जाते हैं | भारतीय गणित के इतिहास में शून्य और दशमलव
पद्धति का अविष्कार पूरे मानव – इतिहास और गणित के विश्व – इतिहास में सबसे
महत्वपूर्ण स्थान रखता है और संभवतः कोई अन्य आविष्कार भविष्य में इसका स्थान नहीं
ले सकेगा |
आर्यभट के बाद लगभग हजार वर्षों तक भारतीय गणित विश्व में प्रथम स्थान पर रहा | इस काल में भारत के महान गणितज्ञों में केरल के माधव अंतिम गणितज्ञ थे | गणितज्ञ माधव ने न्यूटन और लेबनीज से लगभग दो शताब्दी पूर्व कलन शास्त्र यानि कैलकुलस के मूलभूत सिद्धांतों की खोज की थी | उनका यह शोध उनके द्वारा स्थापित केरल के एक विद्यालय की चहारदीवारी में ही सिमटकर रह गया और शेष दुनिया इससे अनभिज्ञ रहा | दुर्भाग्यवश सोलहवीं शताब्दी के मध्य के बाद इस विद्यालय का अस्तित्व नहीं रहा | इसके बाद उन्नीसवीं शताब्दी तक भारत में गणित का विकास अवरूद्ध रहा , जब तक कि इस शताब्दी के अंत में महानतम भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का अवतरण नहीं हुआ | परंतु रामानुजन के बाद कुछ गिने – चुने गणितज्ञ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए |
हमारा
देश जितना विशाल है , इसकी तुलना में यहाँ विश्वस्तरीय गणितज्ञों की काफी कमी है |
हमारे देश में छात्र उच्चस्तरीय गणित के अध्ययन में बहुत कम ही रूचि दिखाते हैं ,
फलस्वरूप यहाँ गणित का गुणवत्तापूर्ण और समुचित विकास नहीं हो पा रहा है | यहाँ
छात्रों की गलत आम धारणा है कि गणित के क्षेत्र में रोजगार की कोई सम्भावना नहीं
है | यह धारणा कुछ वर्षों पहले तक सही थी , परंतु आज गणित में शोध और शिक्षण के
क्षेत्र में अपार संभावनायें व्याप्त हैं |
भारत
में गणित के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु यह आवश्यक है कि गणितज्ञ – समुदाय
इसके लिए उपायों और साधनों कि खोज करें जिससे कि गणित में उच्च
कोटि के शोध और इनके अनुप्रयोग को प्रोत्साहन मिल सके | इसी उद्देश्य हेतु केंद्र
सरकार ने वैज्ञानिक गतिविविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु एक नीति बनायी है | इसी
कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने २६ दिसंबर २०११ को रामानुजन
जयंती के अवसर पर वर्ष २०१२ को “राष्ट्रीय
गणित वर्ष” घोषित किया | इसका उद्देश्य गणित के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु हर
संभव प्रयास करना है , विश्वविद्यालयों में मूल्यांकन पद्धति में सुधार लाना हैं ,
प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहित करना है ताकि उन्हें रामानुजन कि तरह
कठिनाइयों का सामना न करना पड़े और वे शोध में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके |
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